Resources do not lead you to Success but Desire definiely can
Every
now and then we read the success stories of people who achieved against
all the odds in their life . Just rewind in your mind and you will
recall so many stories of people who did not have enough resources
required to help them succeed , be it son of the house maid who made it
to civil services or the daughter of a rickshaw puller who made it to
IITs .
Did you ever wonder, what is that one single
trigger which helped these people to move on and convert all odds in
their favour ?? If they would have been like any other ordinary person
even they would have cribber about the unfair circumstances,
constraints, problems, issues like how they can not afford the fees of
coaching institutes or how their inability to access quality education
became a constraint in their life. Bue no, they not only overcome these
problems but also conquered their dreams and made them a reality.
It
is clear that success is possible even without means, only the power of
will is needed to make the dream come true. The sheer will power can
converge your energy and nature’s energy to merge and strengthen your
chances of being successful. It is true that intensity of your desire
creates the path to success or failure in your life.
Actually,
failure is a practice and it flourishes in the comfort of our
inactions. It is this comfort zone only which always hinders our
progress, slows down our ability to dream big and mobilise our energy to
achieve it. Dreams give you the power to take risks, Determination
gives you the power to win over obstacles and Desire gives you the urge
to not stop unless the milestones are achieved.
The
saying 'Where there is a will, there is a way' is 100 percent correct
and true, it yields results in every age, situation and environment. The
clarity and intensity of desire is a fundamental element of success.
The stronger the desire, higher are the chances to succeed.
-Advait
साधन नहीं, चाहत से मिलती है कामयाबी
आईएएस और आईआईटी में चयनित रिक्शा चालक या मजदूर के बेटों की कामयाबी में परिस्थितियां आड़े क्यों नहीं आती? कोचिंग की महंगी फीस और तैयारी के लिए किताबों और अन्य सुविधाओं पर होने वाले खर्च जुटा पाने में असमर्थ होने के बावजूद आखिर उनके पास ऐसा कौन सा मंत्र है जो उन्हें समर्थवान छात्रों से भी अव्वल बना देता है।
चाहें तो वो भी ये बहाना बना सकते हैं कि मेरे पिता के पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं परीक्षा की तैयारी का खर्च उठा कर सकूं। वो कभी ये नहीं सोचते हैं कि जब उनके पिता की आमदनी कोचिंग की फीस भरने लायक होगी तब आईएएस और आईआईटी के लिए तैयारी शुरू कर पाएंगे। मतलब साफ है कि साधन के बिना भी सफलता संभव है, बस सपने को साकार करने के लिए संकल्प की शक्ति चाहिए। कामयाबी की कल्पना में जितना दम होता है, प्रकृति की तमाम ऊर्जा उसे साकार करने में उतना ही सहयोग करती है। आपकी चाहत की तीव्रता ही आपकी जिंदगी में सफलता या विफलता के लिए पाथ-वे क्रियेट करती है।
दरअसल असफलता एक अभ्यास है और ये कंफर्ट जोन की कोख से जन्म लेती है। कंफर्ट जोन हमेशा जोखिम के नाम पर हमें सपने देखने और इच्छा पैदा करने से रोकता है, जबकि खुद को और बेहतर बनाने का लक्ष्य तय करने में जोखिम जैसे शब्द और सोच की कहीं कोई गुंजाइश ही नहीं है। जोखिम न लेने का अविश्वास इंसान को इतना कमजोर बना देता है कि कई बार असफलता उसे सुकून देने लगती है। कई बार तो लोग जाने-अनजाने में अक्सर असफल होने की तरकीब ढूंढते रहते हैं या यूं कहें कि तैयारी करते हैं, इतना ही नहीं असफल होने की कामना भी करते हैं।
'जहां चाह, वहां राह' की कहावत सौ फीसदी सार्थक और सच है, ये हर काल, परिस्थिति और परिवेश में परिणाम देती है। चाहत की स्पष्टता और तीव्रता सफलता का मूल तत्व है। चाहत जितनी स्ट्रांग होगी, सफलता उतनी ही बड़ी और स्थायी होगी।
-अद्वैत