Mar 14 2022

It is very easy to turn adverse situations in your favour

Most often we feel constrained by the world around us, unreasonable actions of people and unpredictable reactions of people to our actions. But it is also hundred percent true that all the four dimensions of this system, our action – their reaction and similarly their action- our reaction can be changed the way we want it. In other ways, you have unlimited ability to create favorable conditions for yourself and change adverse situations.

In the journey of life it often seems that we do not have a solution to such problems or we are just not able to solve them, but this is not true at all. This is our illusion or the result of constant practice of mistrust on ourselves. The deepening web of mistrust on ourselves, our capabilities, makes us weak while the system of faith gives us the power to create favorable eco system and continuously enhance it.

Talk of action and reaction again. Your action is your strength, you can definitely control the reaction of others with your action. Action is your weapon, if you use it thoughtfully then your victory is guaranteed. Keep yourself cool in every moment and also stay focused on shaping the reaction of surroundings, by keeping yourself calm with complete control of your actions. 

Lets take an example, inadvertently you meet an accident and injure an unknown person by your car, now there is a high possibility of a two-way reaction, one from an injured person and the other is reaction of mob. If you take the initiative to promptly understand wellbeing of the injured person and take responsibility get him treated by accepting the mistake, then the response from both of them can be positive, but if you start defending yourself by saying that the injured person is responsible for the accident, then reaction of both the parties may be against you.

We also try to understand how to change one's reaction through action with another example. Suppose your supervisor or boss’s behavior in the office is not favorable to you. For some reason the boss has a negative perception about you in his/her mind, here your action is your again your tool to fix your problem. If you want to change the perception of your boss then you should keep doing your work with peace and patience in a very neutral manner.

To convert the reaction, first thing is that you stay positive towards your boss, keep fulfilling your responsibilities sincerely and do not compromise on the respect to superiors. Understand that there must have been some circumstances that have caused this misunderstanding and there is no prejudice or foul play . Whenever you talk or meet the boss, present yourself as calm and comfortable in his company. Be rest assured that in just some time your behavior will change the perception of your boss in favor of you. At the same time if someone else had created this misunderstanding in his/her mind, then your behavior will help the boss to not only correct opinion about you but also correct his opinion about that individual.

Lets take another example of managing your reaction, and how you have the ability to adapt one's action to yourself. Suppose that your children do not listen to any elders in the house and often their action is negative or unconstructive, here again you need to be restrained in your reactions. Each time before initiating reaction, you have to convince yourself that your child is your creation and whatever he/she is doing is either his misunderstanding or his mistake which can be corrected with positive influence and not by power.

You have to sustain confidence in your reactions that you are bringing changes in your child and for this you have to keep your reaction moderate and comfortable. Of course your reactions will slowly impact the child and make him understand your values and appreciate them positively

- Advait




प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाना आसान है

ये सौ फीसदी सच है कि आप अपने एक्शन से सामने वाले का रिएक्शन बदल सकते हैं और इसके ठीक विपरीत अपने रिएक्शन से सामने वाले का एक्शन भी बदल सकते हैं। दूसरे तरीके से कहें तो खुद के लिए अनुकूल स्थितियों का निर्माण और प्रतिकूल परिस्थितियों को बदलने की असीमित क्षमता रखते हैं आप।

जिंदगी के सफर में अक्सर ऐसा लगता है कि फलां समस्या का समाधान हमारे पास नहीं है या हम इसे सुलझा पाने में असमर्थ हैं, लेकिन ये बिल्कुल भी सच नहीं है। ये हमारा भ्रम है या फिर खुद पर अविश्वास के निरंतर अभ्यास का परिणाम है। अविश्वास की अव्यवस्था हमें कमजोर बनाती है जबकि विश्वास की व्यवस्था क्रिएट करने शक्ति देती है।

फिर से बात एक्शन और रिएक्शन की। आपका एक्शन आपकी ताकत है, आप चाहें तो अपने एक्शन से दूसरों के रिएक्शन को कंट्रोल कर सकते हैं। एक्शन आपका हथियार है, अगर इसे सोच समझ कर इस्तेमाल करें तो आपकी जीत सुनिश्चित है। अपने एक्शन के जरिए किसी के रिएक्शन को अपने पक्ष में करने के लिए खुद को हर पल शांत और एकाग्र रखें।

उदाहरण के लिए अनजाने में आपने अपनी कार से किसी अनजान शख्स को चोटिल कर दिया है, अब यहां दो ओर से रिएक्शन की संभावना है, एक तो चोटिल व्यक्ति और दूसरा वहां जमा हुई भीड़ की। अगर आपने गलती स्वीकार कर चोटिल व्यक्ति के प्रति संवेदना जताते हुए उसके इलाज के लिए पहल की तो आपके प्रति दोनों ओर की प्रतिक्रिया सकारात्मक हो सकती है, लेकिन अगर आपने चोटिल व्यक्ति को ही हादसे का जिम्मेदार बताते हुए अपना बचाव करना शुरू कर दिया तो सभी पक्षों का रिएक्शन आपके खिलाफ हो सकता है।

एक्शन के जरिए किसी के रिएक्शन को चेंज करने को एक अन्य उदाहरण के जरिए भी समझने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए कि दफ्तर में बॉस का बर्ताव आपके अनुकूल नहीं है। किसी कारणवश बॉस ने अपने मन में आपके खिलाफ नकारात्मक धारणा बना रखी है, तो ऐसे में आपका एक्शन ही आपका हथियार है। अगर आपको बॉस की धारणा में बदलाव लाना है तो आपको शांति और धैर्य के साथ अपना काम करते रहना चाहिए। बॉस के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखने के लिए अपनी जिम्मेदारी को निष्ठापूर्वक पूरा करते रहें और उनके सम्मान में कोई कंजूसी न करें। ये मान लें कोई ऐसी परिस्थितियां रही होंगी जिसकी वजह से बॉस को गलतफहमी हो गई है और इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। बॉस से जब भी बात या मुलाकात हो तो खुद को सहज, शांत और सहनशील शख्सियत के रूप में प्रस्तुत करें।  यकीन मानिए कि आपका बर्ताव आपके बॉस की धारणा को आपके लिए अनुकूलता में बदल देगा। अगर किसी ने आपके प्रति बॉस में गलतफहमी पैदा की है तो आपके बर्ताव से उसके प्रति बॉस को वाजिब राय बनाने में मदद मिलेगी।

इसी तरह आप अपने रिएक्शन को नियंत्रित कर किसी के एक्शन को खुद के अनुकूल बनाने की क्षमता भी रखते हैं। मान लीजिए कि आपके बच्चे घर में किसी बड़े की बात नहीं सुनते और अक्सर उनका एक्शन निगेटिव रहता है, ऐसे में आपको अपने रिएक्शन में संयम बरतने की जरूरत है। हर रिएक्शन से पहले खुद को समझाना होगा कि आपकी संतान आपकी ही क्रिएशन है और वो जो भी कर रहा है वो या तो उसकी नासमझी है या फिर भूल। आपको अपने रिएक्शन को लेकर खुद में विश्वास जगाना होगा कि आप अपने बच्चे में बदलाव ला रहे हैं और इसके लिए आपको अपना रिएक्शन संयमित और सहज रखना है। यकीनन आपका रिएक्शन एक दिन आपके बच्चे के एक्शन को हमेशा के लिए आपके मनोनुकूल बना देगा।

-अद्वैत

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